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दो कलाकार - शीर्षक की सार्थकता - Coggle Diagram
दो कलाकार - शीर्षक की सार्थकता
रुबेन -दो कलाकार यह शीर्षक सार्थक है क्योंकि पूरा पाठ दो कलाकारों की कहानी के आर पार घूमती है चित्र कागजों पर चित्र बनाकर प्रतियोगिताओं में भाग लेती है इसलिए वह कलाकार है| अरुणा दूसरों के जीवन में रंग भर्ती है इसलिए अरुणा भी एक कलाकार है|
यदुवीर - १) चित्रा कैनवास पर रंग लाती है और अरुणा लोगों के जीवन में रंग लाती है
२) चित्रा और अरुणा का व्यक्तित्व भिन्न है परंतु दोनों के अन्तर मन की अभिविक्तये का साधन चित्र है. दोनों अपने कला में निपुण है इसलिए कहानी का शीर्षाक सार्थक है.
गौरव - दो कलाकार यह शीर्षक एकदम सटीक है क्युकी जहा चित्रा चित्र बनाने में अपनी कला दिखाती वह अरुणा दूसरो की सहीयता करने में अपनी इंसानियत की काला प्रस्तुत करती वह चित्रा ने भीकारिन का चित्रा बनके अपनी कला प्रस्तुत की वही अरुणा ने वह भीकारीन के बचो को गोद लेकर इंसानियत की प्रस्तुति की ऐसे ही वह दोनो कलाकार बन गए और दो कलाकार यह शीर्षक ही सथिक है।
साची -
तनया: -
• श्रीमती मन्नू भंडारी की कहानी दो कलाकार दो घनिष्ठ मित्र अरुणा और चित्रा के बारे में है जिनका व्यक्तित्व एक कलाकार के रूप में उभरा है| चित्रआ को चित्र बनाना बहुत पसंद है, वह आकांक्षा रखने वाली लड़की है जिसे आसमान की ऊंचाइयों को छूना है पर वह चित्र बनाने में इतना मगन हो जाती है की उसे और कुछ नहीं दिखता पर उसकी दोस्त अरुणा जो है वह चित्र कैनवस पर नहीं बनाती है लेकिन दूसरों के जीवन में रंग भर्ती है और उनके जिंदगी में खुशियां लाती है और इसी तरह हम उसे एक कलाकार बुला सकते हैंl मेरे हिसाब से दोनों ही दोस्त अपने-अपने कला में निपुण है और कहानी का शीर्षक दो कलाकार एकदम सार्थक है
ऐरन -
जीया -
आसिल -
निशांत -
साहिल - श्रीमती मनु भंडारी दुआरा लिख कहानी दो कलाकार में दो स्त्रिया है जो है चित्रा और अरुणा.वैसा तो दोनो घनिस्ट मित्र है लेकिन दोनो के विचार अलग है। चित्रा चित्र बनाती है और विदेश जकर अच्छा नाम बनाना चाहती है। लेकिन अरुणा लोगो की मदद करता है।वीह गरीब बच्चों को पढाती है और लोगो के मन में रंग भरती हाई। इसलिए शीर्षक सार्थक है'।
मेलोशा - ‘दो कलाकार’ यह कहानी द्वारा लेखिका ने यह समझाने का प्रयास किया है की निर्धन और असहाय लोगों की मदद करनी चाहिए। इस कहानी द्वारा सच्चे कलाकार की परिभाषा को भी परिभाषित करने का प्रयास किया गया है।एक नारी चित्रा थी जो इस कहानी की एक महत्वपूर्ण पात्रा है।और एक अरुणा थी जो बहुत भावुक, दयालु और दूसरो के दुःख को अपना दुःख समझने वाली। वह दोनो ही इस कहानी के कलाकार है।
अलीसिया
- ‘दो कलाकार’ यह कहानी द्वारा लेखिका श्रीमती मनु भंडारी ने लिखी। कहानी में कथानक शुरू से लेकर अंत तक दो कलाकार सहेलियों के आस-पास घूमता रहता है। एक चित्रकार है, तो दूसरी समाज सेविका। एक कला के प्रति समर्पित है और जीवन के रंगों को कैनवास पर उतारना चाहती है, जबकि दूसरी जीवन का सार सेवा-भाव में खोजती है। दोनों की रुचियों को, उनके लक्ष्य को कहानी में स्पष्ट किया गया है। अंत में दोनों सहेलियों की मुलाकात जब होती है, तब चित्रा एक चित्रकार के रुप में प्रसिद्धि पा चुकी होती है। कहानी में इन्हीं दो कलाकार चित्रा और अरुणा है और उनके इर्द-गिर्द कहानी घूमती है इसीलिए कहानी का शीर्षक पूर्ण रूप से सार्थक है और मेरी नजर में इससे अच्छा शीर्षक नहीं हो सकता था|
श्रेय - श्रीमती मन्नू भंडारी दवारा लीखीत कहानी "दो कलाकार' का शीर्षक सार्थक है क्योंकि पूरे पाठ में हमें यह देखते है की दोनों दोस्तों की वीचारधारा अलग होती है पर दोनों कलाकार है क्योंकि एक रंगों से अपनी कलाकारी दीखाती है और दूसरी लोगों के जीवन में रंग भरती है।
नाविन्य
- ‘दो कलाकार’ इस कहानी में दो स्त्री पात्र हैं,अरुणा और चित्रा| दोनों में घनिष्ठ मित्रता है| पर इतनी अच्छी मित्रता होने के बावजूद उनके विचारों में जमीन आसमान का फर्क है| चित्रा एक कलाकार है जो कैनवास पर अच्छे अच्छे चित्र बनाती है| वह अपनी इस कला से बहुत आगे बढ़ने कि महत्वाकांक्षा रखती है| उसे, दुनिया की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है| दूसरी ओर अरुणा को निर्जीव चित्र में रंग भरने में, आनंद नहीं आता था| वह जीवित प्राणियों की सेवा करती थी और उनके जीवन में आनंद के रंग भर देती थी| वह दूसरों को दुखी नहीं देख सकती थी| इससे उसे आनंद मिलता था| दोनों सहेलियां कलाकार थी, पर उनके काम करने का तरीका अलग था चित्रा कैनवस पर चित्र बनाती थी और दूसरी ओर अरुणा दुखी प्राणियों के जीवन में खुशी ला कर उनके जीवन को रंगीन बनाती थी| कहानी में इन्हीं दो कलाकार चित्रा और अरुणा है और उनके इर्द-गिर्द कहानी घूमती है इसीलिए कहानी का शीर्षक पूर्ण रूप से सार्थक है और मेरी नजर में इससे अच्छा शीर्षक नहीं हो सकता था|
आर्या : -
कहानी दो कलाकार का शीर्षक अत्यंत सार्थक है क्योंकि यह हमें बताता है कि दुनिया एक बहुत बड़ा मंच है जहां हम सब अलग-अलग कलाकार है , जो अपने तरीके से उसमें रंग और जान डालते हैं | कहानी के दोनों पात्र, कलाकारों की तरह दुनिया में अपना किरदार निभा रहे हैं | जैसा कि हम इस कहानी में भी देखते हैं कि अरुणा बहुत उदार है और दूसरों की मदद करने की क्षमता रखती है , मगर दूसरी ओर हम देखते हैं कि चित्र बहुत महत्वकांक्षी है और वे अपने रंगों की कला से नई ऊंचाइयों को छूना चाहती है |
ऐश्वर्या- दो कलाकार मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में सतना तक शुरुआत से लेकर अंत तक : दो कलाकार सहेलियों के आसपास घूमता रहता है। एक कला के प्रति समर्पित है और जीवन के रंग को कैनवस पर उतारना चाहती है जबकि दूसरी जीवन का सार सेवा भाव में खोजती है। इस तरह दोनों की सूचियों को उनके लक्ष्य को कहानी में स्पष्ट किया गया है। कहानी के अंत में दोनों सहेलियों की मुलाकात जब होती है, तब चित्रा का चित्रकार के रूप में प्रसिद्धि पा चुकी होती है। भिखारिन के बच्चों वाली चित्र में चित्र को प्रसिद्धि के उच्च शिखर पर पहुंचा दिया था ,उन्हीं बच्चों का पालन-पोषण अरुणा करती है। मेरी नजर में दोनों कलाकार मिलकर कहानी के शीर्षक की सार्थकता को सिद्ध करते हैं।
अप्पाशा -
आर्शिया -
आदित्य -
सिया -
औक्ज़ीलिया - प्रस्तुत कहानी में कथानक शुरू से लेकर अंत तक दो कलाकार सहेलियों के आस-पास घूमता रहता है। एक चित्रकार है, तो दूसरी समाज सेविका। एक कला के प्रति समर्पित है और जीवन के रंगों को कैनवास पर उतारना चाहती है, जबकि दूसरी जीवन का सार सेवा-भाव में खोजती है। इसतरह दोनों की रुचियों को, उनके लक्ष्य को कहानी में स्पष्ट किया गया है। कहानी के अंत में दोनों सहेलियों की मुलाकात जब होती है, तब चित्रा एक चित्रकार के रुप में प्रसिद्धि पा चुकी होती है। जिस भिखारिन के बच्चों वाली चित्र ने चित्रा को प्रसिद्धि के उच्च शिखर पर पहुँचा दिया था, उन्हीं बच्चों का पालन-पोषण अरुणा करती है।
खुशी -