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माँ (AUTHOR NAME WHO WROTE POETRY ON MOTHER (MUNAWWAR RANA, DR .KUMAR…
माँ
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POETRY
POET NAME
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MEER TAQI MEER
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है
बूटा(Under-shrub)
FAIZ AHMAD FAIZ
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है
तलाश में है सहर बार बार गुज़री है
सहर(morning)
शब-ए-इंतिज़ार(the night of awaiting)
QATEEL SHIFAI
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम(warmth of one unrequited in love)
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HARIVANSH RAI BACHCHAN
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला।
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।
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DR. KUMAR VISHWASH
माँ पालती है पेड़ एक लाड़ से प्यार से दुलार से।
माँ सुलाती है लोरी गा पिलाती है दूध लुटाती है तन मन प्राण
पेड़ बड़ा ज्यों-ज्योंहोता जड़ें उसकी मजबूत घुस जाती हैं
माँ में हाथ पैर में दिमाग में और दिल में चूसता है ख़ून-पानी-माँस
महँगे आँसू पेड़ पाता विस्तार अद्भुत देखता संसार रूककर राह में
कितना बड़ा है पेड़ पेड़ बढ़ता निस दिन माँ से धँसी जड़ों से दूर होता
निस दिन पालती है पेड़ एक लाड़ से प्यार से दुलार से।।
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MY POETRY
जब याद तुम्हारी आई माँ आँखें मेरी भर आई |
त्याग तपस्या तिरस्कार सब सहन किया माँ तुमने
कर्म पथिक बन कर माँ तुमने अपनी लाज निभाई
तुमसे ही तो मिला है जो कुछ उसको बाँट रहा हूँ
तुम करुणा मन की माता थीं तुमसे जीवन की निधि पाई
तुम तुलसी की पूजा माँ तुम ममता की मूरत थी
जब याद तुम्हारी आई माँ आँखें मेरी भर आई |
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